मंदबुद्धि
से वैज्ञानिक तक का सफर एक बच्चा स्कूल से निकाला गया,
क्यूंकि लोग उसे मंदबुद्धि समझते थे। उसकी माँ ने उसे घर पर
ही शिक्षा दी और वो इंसान एक दिन दुनियां का सबसे बड़ा वैज्ञानिक बना।
मंदबुद्धि से वैज्ञानिक तक का सफर
एक बच्चा स्कूल से
निकाला गया, क्यूंकि लोग उसे मंदबुद्धि समझते थे। वह गणित के
आसान से आसान सवाल भी हल नहीं कर पाता था और कहा गया कि वह कभी जीवन में कुछ बड़ा
नहीं कर सकता। उसकी माँ ने उसे घर पर ही शिक्षा दी और वो इंसान एक दिन दुनियां का
सबसे बड़ा वैज्ञानिक बना।
आइंस्टाइन का जन्म 14 मार्च 1879
को जर्मनी के यूम (Ulm) नगर में हुआ था। बचपन में
उन्हे अपनी मंदबुद्धी बहुत अखरती थी। आगे बढने की चाह हमेशा उनपर हावी रहती थी।
पढने में मन नहीं लगता था फिर भी किताब हाँथ से नहीं छोङते थे, मन को समझाते और वापस
पढने लगते। कुछ ही समय में अभ्यास का सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगा। शिक्षक भी
इस विकास से दंग रह गये। गुरु मंत्र के आधार पर ही आइंस्टाइन अपनी विद्या संपदा को
बढाने में सफल रहे। आगे चल कर उन्होने अध्ययन के लिये गणित जैसे जटिल विषय को
चुना। उनकी योग्यता का असर इस तरह हुआ कि जब कोई सवाल अध्यापक हल नहीं कर पाते तो
वे आइंस्टाइन की मदद लेते थे।
गुरु मंत्र को गाँठ
बाँध कर आइंस्टाइन सफलता की सीढी चढते रहे। आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से
आगे की पढाई में थोङी समस्या हुई। परन्तु लगन के पक्के आइंस्टाइन को ये समस्या
निराश न कर सकी। उन्होने ज्युरिक पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला ले लिया। शौक मौज
पर वे एक पैसा भी खर्च नहीं करते थे, फिर भी दाखिले के बाद
अपने खर्चे को और कम कर दिये थे। उनकी मितव्ययता का एक किस्सा आप सभी से साझा कर
रहे हैं।
“ एक बार बहुत तेज बारिश
हो रही थी। अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी हैट को बगल में दबाए जल्दी-जल्दी घर जा रहे थे।
छाता न होने के कारण भीग गये थे। रास्ते में एक सज्जन ने उनसे पूछा कि – “ भाई! तेज बारिश हो रही
है,
हैट से सिर को ढकने के बजाय तुम उसे कोट में दबाकर चले जा रहे हो। क्या
तुम्हारा सिर नहीं भीग रहा है? आइंस्टीन ने कहा –“भीग तो रहा है परन्तु
बाद में सूख जायेगा, लेकिन हैट गीला हुआ तो खराब
हो जायेगा। नया हैट खरीदने के लिए न तो मेरे पास न तो पैसे हैं और न ही समय।“
शिक्षा पूरी होने पर
नौकरी के लिये थोङा भटकना पङा तब भी वे निराशा को कभी पास भी फटकने नहीं दिये।
बचपन में उनके माता-पिता द्वारा मिली शिक्षा ने उनका मनोबल हमेशा बनाए रखा।
उन्होने सिखाया था कि – “एक अज्ञात शक्ति जिसे ईश्वर
कहते हैं,
संकट के समय उस पर विश्वास करने वाले लोगों की अद्भुत सहायता करती है।“
आइंसटाइन ने सापेक्षता
के विशेष और सामान्य सिद्धांत सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में-
सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की
समस्याऍ,
अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन
संभाव्यता,
एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांतम, कम विकिरण घनत्व वाले
प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीक्रीत क्षेत्र
सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है। सन् 1919 में इंग्लैंड की रॉयल
सोसाइटी ने सभी शोधों को सत्य घोषित कर दिया था। यहूदी होने के नाते उन्हे जर्मनी
छोङकर अमेरीका के न्यूजर्सी में जाकर रहना पङा। वहाँ के प्रिस्टन कॉलेज में अंत
समय तक अपनी सेवाएं देते रहे , और 18 अप्रैल 1955
को स्वर्ग सिधार गए . उनका जीवन मानव जाति की चीर संपदा बन गया। उनकी महान
विशेषताओं को संसार कभी भी भुला नहीं सकता।
भारतीयों को मानसिक रूप से कमजोर
मानते थे महान वैज्ञानिक आइंस्टीन
यह पहली बार नहीं है
कि जब किसी महान व्यक्ति ने भारत को कमजोर कहा हो। कुछ ऐसा ही खुलासा महान
वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में भी हुआ है। आइंस्टीन की डायरी के कुछ पन्ने
सार्वजनिक हुए हैं जिसमें लिखा है कि भारतीय शारीरिक और
मानसिक रूप से कमजोर होते हैं। आइंस्टीन ने अपनी डायरी में लिखा है कि भारत की
जलवायु ही कुछ ऐसी है कि यहां के लोग शारीरिक और मानसिक रूप से कमतर दिखते हैं।
यही नहीं भारतीयों का आकलन करते हुए उन्होंने लिखा है
कि भारतीय दूर की सोच नहीं रखते हैं, मतलब 15 मिनट से ज्यादा
आगे-पीछे का सोच ही नहीं पाते। अनुवांशिक कारण भी
इसके पीछे जिम्मेदार होते हैं।' मजेदार बात यह है कि
जब आइंस्टीन ने यह बातें लिखीं तब तक वह भारत नहीं आए थे। उनकी मुलाकात श्रीलंका
में कुछ भारतीयों से हुई थी और उसी आधार पर उन्होंने अपनी यह राय बना ली थी।
हालांकि, आइंस्टीन दुनिया घूमने
के शौकीन जरूर थे। और इस दौरान वह ट्रैवल डायरी भी लिखते
थे। वह जहां भी घूमकर आते, वहां का जिक्र डायरी में रहता
था। डायरी के कुछ पन्नों में 1922-23 का जिक्र है जब
आइंस्टीन एशिया के कई देश घूमने निकले थे। उन्होंने चीन और श्रीलंका की यात्रा की
और इन दोनों देशों के बारे में अपनी राय डायरी में लिखी। पिछले दिनों
कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आइंस्टीन पेपर प्रोजेक्ट के सहायक
निदेशक जीव रोजेनक्रैंज ने इसी डायरी के कुछ अंश को अपनी किताब के माध्यम से
सार्वजनिक किया है।
उन्होंने अपनी डायरी
में चीनी लोगों के बारे में भी बहुत रोचक जानकारियां दी हैं। उन्होंने चीन के लोगों
के लिए लिखा- 'यहां के लोग बहुत मेहनती होते हैं लेकिन मुझे ये
मशीनी मानव से लगते हैं। यही नहीं उन्होंने लिखा है कि
चीन के लोग बहुत गंदे तरीके से रहते हैं। और कमअक्ल भी होते हैं।'
जबकि श्रीलंका के
लोगों के बारे में भी आइंस्टीन ने रोचक जानकारियां दी हैं। उन्होंने लिखा- 'यहां के लोग बहुत गंदे
तरीके से रहते हैं। इनका सिद्धांत होता है- कम काम करो, जरूरत भी कम रखो। यही
उनके जीवन का साधारण आर्थिक चक्र है।'
नस्लभेद के खिलाफ आवाज भी उठाई
आइंस्टीन सिर्फ एक
महान वैज्ञानिक नहीं थे बल्कि वह नस्लभेद के भी खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे थे।
इसलिए उनकी छवि वैज्ञानिक के अलावा नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले व्यक्ति की
भी रही है।
वो सार्वजनिक मंचों पर
नस्लभेद की आलोचना करते थे और नस्लीय टिप्पणी को सफेद लोगों की बीमारी बताते थे।
लेकिन बताया जा रहा है कि उनकी डायरी में एशिया के लोगों के लिए नस्लभेदी
टिप्पणियां भी मिली हैं।
महान वैज्ञानिक
अल्बर्ट आइंस्टीन ने हमें विज्ञान से जुड़े नियमो को समझाते हुए कई बार असफल और सफल
हुए. लेकिन अपनी कल्पना की उड़ान और अपने ज्ञान के भण्डार से हमें बहुत सी ऐसी
बातो को बताया. जो हमें कठनाईयों से भरे मार्ग पर सफलता
पूर्वक आगे बढ़ने की प्रेरणा देता हैं.
अल्बर्ट आइंस्टीन के अनमोल विचार
- संयोग ईश्वर का बचा हुआ गुप्त मार्ग है.
- सूचना (Information) किसी प्रकार का ज्ञान
नहीं है. ज्ञान से ज्यादा
आपको कल्पना करना जरूरी है. बुद्धि पाने का एक मात्र सही
मार्ग,
ज्ञान नहीं बल्कि
आपकी कल्पनाशीलता है.
- एक पुरुष को ये कभी पता नहीं होता की शुभ विदाई
किस तरह से दे?
उसी तरह एक
स्त्री को ये कभी समझ नहीं आता की शुभ विदाई कब दे?
- हमेशा हर बाधा को हिंसा जल्दी से हटा सकती है, लेकिन यह कभी भी सृजनात्मक (Creative) नहीं हो सकती.
- न्यूटन के विषय में सोचने का एक ही अर्थ है
उनके द्वारा किये गए महान कार्यो को याद करना. उनके जैसे व्यक्तित्व के बारे
में इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें एक सर्वव्यापी सत्य को
सिद्ध करने में कितना कड़ा संघर्ष अपने जीवन में करना पड़ा होगा.
- मूर्खता और बुद्धिमता में मात्र एक ही फर्क
होता है की बुद्धिमता की एक सीमा होती है. और मूर्खता की कोई सीमा नहीं होती.
- धर्म के बिना विज्ञान (Science) अपाहिज है, और उसी तरह
विज्ञान के बिना धर्म अंधा है.
- अगर आप जीवन (life) में प्रसन्नता-पूर्वक
जीना चाहते हो तो,
आप किसी एक
व्यक्ति या किसी एक वस्तु के बजाय एक लक्ष्य (aim) को चुनों.
- एक मेज-कुर्सी, एक कटोरे में फल और साथ
ही एक वायलन,
जीवन में भला खुश रहने के लिए
इससे ज्यादा और क्या चाहिए?
- इंसान को असली जोखिम (risk) से ही विश्वास की
पहचान होती है.
- खुद को सत्यवान और सम्पूर्ण ज्ञान का मसीहा
समझने वालो का ये घमंड,
ईश्वर ही तोड़ते है.
- शिक्षा वो है जो आपको उस समय भी याद रहे. जब
आप सब कुछ भूल गए हो. जो कुछ भी था आपको याद.
- अगर कोई भी तथ्य सिद्धांत से नही मिलते है, तो आप उन तथ्यों
को बदल दीजिये.
- मेरे पास कोई महत्वपूर्ण काबिलियत (ability) नहीं है, मै तो बस एक
जिज्ञासु हूं.
- समय बहुत कम बचा है. अगर जीवन में आपको कुछ
करना है आगे बढ़ाना हैं. तो अभी से कार्य को शुरू दे .
- अगर किसी खिलाडी से अच्छा खेलना हैं तो, खेल के नियम
सिखने होंगे.
- "पागलपन" एक
ही कार्य को बार-बार करना. और हमेशा उस कार्य का परिणाम सुखद आने की आशा करना
होता हैं.
- अधिकांश लोग कहते है की एक महान वैज्ञानिक को
उसकी बुद्धि बनाता है. लेकिन वो गलत है. एक महान वैज्ञानिक को उसका चरित्र बनाता है.
- किसी इंसान की कीमत इससे नहीं होती कि वो क्या पा
सकता है,
बल्कि इसमें होती
है कि वो क्या दे सकता है.
- शांति किसी प्रकार की शक्ति के द्वारा नहीं रखी
जा सकती.
शांति तो बस अपनी
समझ से प्राप्त की जा सकती है.
- गाड़ी चलाते हए आप किसी सुन्दर लड़की
को चुम्बन करते हुए सुरक्षित ड्राईविंग कर रहे है तो इसका अर्थ
यह नहीं
होता की आप
चुम्बन पर अपना
ध्यान नहीं दे रहे हो, जितना की देना
चाहिए..
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